Devasthanam Board Dissolved: देवस्थानम बोर्ड भंग, सुबह का भूला चुनाव में घर आ जाए तो उसे भूला ही कहते हैं-प्रदीप टमटा
उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार विधानसभा चुनाव से पहले बड़े बड़े फैसले ले रही है, चाहे वो विकास से जुड़े हो या फिर पुरानी सरकारों के फैसले को आगे बढ़ाने या फिर लौटने का हो, ऐसा ही एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का फैसला पलट दिया है. पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है. देवस्थानम बोर्ड का लंबे समय से विरोध हो रहा था साथ ही तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग लगातार कर रहे थे, मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद वैसे भी उत्तराखंड की BJP सरकार साधु संतों के दबाव में आ गई थी, माना जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी साधु-संतों की नाराजगी की वजह से ही चली गई थी. पुष्कर सिंह धामी सरकार के।इस फैसले के।बाद उत्तराखण्ड कांग्रेस ने BJP पर तंज सा है, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता हरीश रावत ने कहां है कि बीजेपी का हार का डर सताने लगा है जिसके कारण BJP को ये फैसला लेना पड़ा है, साथ ही उन्होंने कहा कि ये फैसला आने वाले चुनाव में हार से भयभीत सरकार का फैसला है। जिस दिन देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था उस दिन ही कांग्रेस ने विधानसभा में और नेताओं ने बाहर इसका विरोध किया और कहा कि ये हमारी परंपरा और संस्कृति के खिलाफ़ है. कांग्रेस इसका शुरू से ही विरोध कर रही थी…
वहीं कांगेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टमटा ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि सुबह का भूला अगर शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते, लेकिन चुनाव से ठीक पहले घर आए तो भूला ही कहा जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जनभावनाओं और पुरोहितों की आस्था को ताक पर रखकर बनाए गए #देवस्थानम बोर्ड को आज भंग कर दिया गया है। पर जनता आपके ये करनाने ज़रूर याद रखेगी। इस बोर्ड को तो भंग होना ही था क्योंकि जनता की भावनाओं को कुचलकर बनी चीज़ें ज़्यादा नहीं टिकती…
कब और कैसे हुआ था बोर्ड का गठन ?
जनवरी 2020 में बीजेपी सरकार के तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था जिसके बाद 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था… उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं और इन चारों धामों का नियंत्रण सरकार के पास आ गया था जिसके बाद से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे… हालांकि पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था… वहीं कहा दजा रहा है कि चुनाव नजदीक आता देख पुष्कर सिंह धामी ने ये फैसला लिया है…
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