कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति, शिव भगवन से है ये खास संबंध…
Report By- Khushi Sinha
महाशिवरात्रि 2022: महाशिवरात्रि के अवसर पर बहुत से लोग रुद्राक्ष को धारण करते हैं। रुद्राक्ष का संबंध शिव भगवान से है और रुद्राक्ष को बहुत चमत्कारी माना गया है। ऐसा माना गया है कि रुद्राक्ष में इतनी ताकत है की वो सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार करता है। रुद्राक्ष शरीर को बेहतर रखने में भी मदद करता है और साथ ही साथ संकट मिटाने में भी। रुद्राक्षदुख एवं ग्रह दोष दूर होते हैं। आये महाशिवरात्रि के अवसर पर आपको बताते है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई-
रुद्राक्ष शब्द दो शब्दों को मिलकर बना है
बहुत कम लोगो को पता होगा की रुद्राक्ष दो शब्दों के मेल से बना है। पहला शब्द है रुद्र और दूसरा शब्द है अक्ष। रुद्र शब्द का अर्थ है शिव और अक्ष शब्द का अर्थ है आंसू।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति कुछ इस प्रकार हुई
कहा जाता है की एक बार जब भगवान शिव शंकर हजार वर्ष तक साधना में लीन रहे थे तब एक दिन अचानक से उनकी आंखें खुलीं तब ही आंसू का एक बूंद पृथ्वी पर जा गीरा। तभी से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई और शिव आज्ञा, मानव कल्याण के लिए रुद्राक्ष के पेड़ पूरी धरती पर फैल गए। तभी से रुद्राक्ष और भगवान शिव का संबंध माना जाता है।
ऐसे होती है असली रुद्राक्ष की पहचान-
अगर रुद्राक्ष की असली पहचान जाननि है तो उसके लिए रुद्राक्ष को कुछ देर तक पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले और उस पर किसी भी प्रकार का कोई असर न दिखे तो समझ जाना की वही असली रुद्राक्ष है।
तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रुद्राक्ष रखकर फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रुद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रुद्राक्ष नाचने लगता है। यह पहचान अभी तक प्रमाणिक है।
शुद्ध सरसों के तेल में रुद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म किया जाये तो असली रुद्राक्ष होने पर वह अधिक चमकदार हो जायेगा और यदि नकली है तो वह धूमिल हो जायेगा।
रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
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