Edited By: Sandhya Joshi
Maa Laxmi 8 Swaroop: शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से मां प्रसन्न होती है और अपने बच्चों को इच्छापूर्ति का आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं।
मां लक्ष्मी की महिमा अपरंपार हैं। कहते है शुक्रवार को व्रत रखने के साथ मां के 8 स्वरूप की पूजा की जाये तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि, शांति, यश, वैभव का अनुभव होता हैं। इसी के साथ सभी बंधनों से मुक्त भी हो जाता हैं। आपकी हर मनोकामना पूरी हो और दुखों का शमन हो इसके लिए जानते है मां के 8 स्वरूप के बारे में –
Maa Laxmi 8 Swaroop / Shukrawaar Upay
सबसे पहला स्वरूप आदि लक्ष्मी
मां लक्ष्मी का सबसे पहला स्वरूप आदिलक्ष्मी का है। इन्हें महालक्ष्मी, मूललक्ष्मी, शक्तिवारूपा, आदिशक्ति भी कहा जाता है। यह ऋषि भृगु की बेटी के रूप में है। श्री श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार, महालक्ष्मी ने ही त्रिदेवों को प्रकट किया है और इन्हीं से ही महाकाली और महासरस्वती ने आकार लिया। जीव-जंतुओं को प्राण प्रदान करने वाली हैं। इसी के साथ जीवन जीने की राह और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति कराती हैं।
दूसरा स्वरूप धन लक्ष्मी
धन, यश और वैभव दिलवाने वाली मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप हैं धनलक्ष्मी। इन्होंने श्री हरि को कुबेर के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए यह रूप धारण किया था। इस देवी का संबंध भगवान वेंकटेश के साथ है जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। वेंकटेश रूप में भगवान ने देवी पद्मावती से विवाह के लिए कुबेर से कर्ज लिया था। जब वह कर्ज चूका नहीं पाए तब देवी लक्ष्मी धनलक्ष्मी के रूप में प्रकट हुई थीं। मां के एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरे हाथ में कमल पुष्प है। इनकी पूजा से आर्थिक तंगी और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
तीसरा स्वरूप धान्यलक्ष्मी देवी
मां लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप है धान्यलक्ष्मी देवी। धान्य का अर्थ होता है अन्न संपदा। देवी लक्ष्मी का यह स्वरूप हमेशा घर में अन्न का भंडार बनाए रखती हैं। इसी के साथ-साथ इन्हें माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है। जिस गृह में देवी विराजती है उस घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होने देती।
चौथा स्वरूप गजलक्ष्मी
मां अपने चौथे भव्य स्वरूप में गजलक्ष्मी रूप में पूजी जाती हैं। अगर मां लक्ष्मी के स्वरूप की बात करे तो देवी कमल पुष्प के ऊपर हाथी पर विराजमान हैं। इनके दोनों ओर हाथी सूंड में जल लेकर इनका अभिषेक करते हैं। मां का यह सौंदर्य रूप होने के साथ देवी की चार भुजाएं हैं जिनमें देवी ने कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख धारण किया है। राज को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी होने के कारण इन्हें राजलक्ष्मी भी कहा जाता है। कृषिक्षेत्र से जुड़े लोगों और संतान की इच्छा रखने वालों को देवी के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
पांचवां स्वरूप संतान लक्ष्मी देवी
मां लक्ष्मी का पांचवां स्वरूप संतान प्रदान करने वाली देवी का है। पुराणों के अनुसार देवी आदिशक्ति का यह स्वरूप स्कंदमाता का है जो अपनी गोद में बालक कुमार स्कंद को बैठाए हुई हैं। देवी लक्ष्मी का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता और संतान लक्ष्मी को समान माना गया है। संतान लक्ष्मी माता की चार भुजाएं हैं जिनमें दो भुजाओं में माता ने कलश धारण किया है और नीचे के दोनों हाथों में तलवार और ढाल है। घर में खुशियों का आगमन हो इसके लिए मां के इस स्वरूप की उपासना करनी चाहिए।
छठा स्वरूप वीरलक्ष्मी
अपने नाम के अनुसार यह देवी वीरों और साहसी लोगों की आराध्य हैं। यह देवी युद्ध में, रण भूमि में विजय दिलाती हैं। इनकी आठ भुजाएं हैं जिनमें देवी ने विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किया हुआ है। इसी के साथ मां वीरलक्ष्मी भक्तों की रक्षा करती हैं और अकाल मृत्यु से भी बचाती हैं। इन्हें मां कात्यायिनी का स्वरूप भी माना जाता है जिन्होंने महिषासुर का वध करके भक्तों की रक्षा की थी।
सातवां स्वरूप विजयलक्ष्मी
देवी लक्ष्मी का सातवां स्वरूप है विजयलक्ष्मी जिन्हें जयलक्ष्मी भी कहा जाता है। इस स्वरूप में माता सभी प्रकार की विजय प्रदान करने वाली हैं। अष्टभुजी यह माता भक्तों को अभय प्रदान करती हैं। कोर्ट-कचहरी में जीत का मामला हो या किसी क्षेत्र में आप संकट में फंसे हों तो देवी के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए।
आठवां स्वरूप विद्यालक्ष्मी
देवी लक्ष्मी का आठवां स्वरूप शिक्षा और ज्ञान प्रदान करने वाली है। इनका स्वरूप मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी से मिलता-जुलता है। कहते है इनकी साधना से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता और ज्ञान की वृद्धि होती है। इनके साधक अपनी बुद्धि और ज्ञान से प्रसिद्धि पाते हैं।